प्राथमिक स्तर से लेकर आठवीं कक्षा तक ये पाठ्यक्रम हैं। अर्थात् ३ से ८ वर्ष की आयु के छात्रों को स्थानिक भाषा में शिक्षा दी जाएगी। आदिवासी क्षेत्रों के छात्रों को अन्य भाषाओं में शिक्षा समझना कठिन होता है और इसका परिणाम उनकी शैक्षिक प्रगति पर पड़ता है। इसलिए केंद्र सरकार ने NEP के अंतर्गत ३ से ८ वर्ष की आयु के छात्रों को प्राथमिक स्तर के मूलभूत शिक्षा को स्थानिक भाषा में देने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया है।
विशेष बात यह है कि इन पाठ्यक्रमों में मराठी के साथ-साथ खानदेशी भाषा को भी शामिल किया गया है। इसके माध्यम से छात्रों को खानदेशी भाषा में शब्द, उच्चारण, पढ़ना, लेखन कौशल सिखाया जाएगा। मातृभाषा में उपलब्ध अक्षरों और मातृभाषा में न होने वाली मराठी अक्षरों को एकत्र करके \’खानदेशी भाषा शिक्षण प्रवेशिका\’ यह पाठ्यपुस्तक तैयार किया गया है।
इन स्थानिक भाषा पाठ्यक्रमों में, स्थानिक लोकगीत और विभिन्न कथाओं से बोली विकसित करने पर ध्यान दिया जाएगा। पाठ्य-पुस्तक के किस्से, चित्र, संवाद के माध्यम से यह किया जाएगा। पठन और लेखन कौशल को विकसित करने के लिए, खानदेशी भाषा में शब्द, गीत दिए जाएंगे। जिससे छात्रों को अपनी मातृभाषा से ध्वनि और लिपि सीखना अधिक सरल और सुविधाजनक होगा। NEP के अंतर्गत हुए इन बदलावों से छात्रों को बड़ा लाभ होगा। छात्रों की स्कूली प्रगति और कौशलिक विकास पर इसका निश्चित अच्छा परिणाम होगा।