मुजफ्फरपुर: लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। सेरेब्रल पल्सी बीमारी से पीड़ित मुजफ्फरपुर के अनुभव राज ने इस सच्चाई को साबित किया है। उनके शरीर में न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर के कारण काम करने में असमर्थता होती है, लेकिन उनकी बुद्धि तेज है। उनकी मां द्वारा लिखी कविता ने एनसीईआरटी की नजरों में अच्छा प्रदर्शन किया। उनकी कविता ‘मां’ अब पूरे देश में एनसीईआरटी पाठ्यक्रम में शामिल है। अनुभव की इच्छा है कि वह शिक्षक बनकर बच्चों को साहित्य का ज्ञान दें। वह वैशाली के सुरहता टीचर ट्रेनिंग कॉलेज से डीएलएड कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि उन्होंने बचपन में अपनी नानी के साथ बहुत समय बिताया था। नानी उन्हें कहानियां सुनाती थीं जिनसे वे प्रेरित होते थे। अब उनके पिता भी उनके साथ रहते हैं। उन्होंने अपनी मां के प्रति अपने प्यार को कविता में व्यक्त किया। उन्हें अनुभव की रचना ‘चिड़ियों का स्कूल’ के लिए कई पुरस्कार मिले हैं। उनके परिवार के सदस्य इस पर बहुत खुश हैं। उन्होंने बताया कि मां शब्द से बड़ा कोई शब्द नहीं है जो दुनिया में हो सकता है। उन्होंने अपनी मां के लिए लिखी कविता के बारे में गर्व महसूस किया। अनुभव अपनी डीएलएड पढ़ाई के साथ सीटेट की भी तैयारी कर रहे हैं और शिक्षक बनने की कोई भी कड़ी में कदम रखना चाहते हैं।
रिपोर्ट- संदीप कुमार