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नई शैक्षिक सत्र शुरू हो गया है, नेशनल काउन्सिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (NCERT) कक्षा 3, 4 और 5 की किताबें बाजार में उपलब्ध नहीं हैं।

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अम्बेडकरनगर, संवाददाता। नया शिक्षा सत्र शुरू होने के साथ ही एनसीईआरटी की किताबों की किल्लत से अभिभावकों पर बोझ बढ़ गया है। हालत यह है कि एनसीईआरटी की तीन, चार व कक्षा पांच की किताबें ही इस बार जिले में नहीं आई हैं। कक्षा छह और नौ की किताबें बहुत ही कम संख्या में आई है जो विद्यार्थियों के लिए नाकाफी है। जिसके कारण विद्यालय एनसीईआरटी की जगह अन्य निजी प्रकाशकों की किताबों को लागू कर रहे हैं जो काफी महंगी हैं। नया शिक्षा सत्र लागू होने के साथ ही विद्यालयों में पढ़ाई लिखाई के साथ ही कापी किताब खरीदने का काम जोरों पर है, लेकिन सरकारी व्यवस्था की नाकामी के कारण अभिभावक महंगी किताबों को खरीदने पर मजबूर हो रहे हैं। दरअसल एनसीईआरटी और अन्य प्रकाश को की किताबों के मूल्य में काफी अंतर होते हैं। जिसे चलते सरकार की तरफ से एनसीईआरटी किताबों को प्रमुखता से लागू किया गया है। लेकिन शिक्षा सत्र शुरू होने के बाद भी कक्षा तीन, चार व पांच के किताबें इस बार अभी तक आई ही नहीं हैं। एक अभिभावक संगम पांडे ने बताया कि उनका बच्चा नगर के एक विद्यालय में कक्षा चार में पड़ता है। एनसीईआरटी किताब मार्केट में उपलब्ध न होने के कारण उसे निजी प्रकाशक की किताब लेनी पड़ रही है। जो दो गुना महंगी है। शिक्षा सत्र शुरू होने से पहले ही सरकार को इस पर विशेष ध्यान देकर मार्केट में किताबों को उपलब्ध कराया जाना था। इसी तरह से कक्षा छह और नौ की किताबें भी काफी कम संख्या में आई हैं, जिसको लेकर बाजार में काफी कमी है। इसके अलावा एनसीईआरटी सभी किताबों को नहीं छापती है। इससे काम कई किताबों को निजी प्रकाशकों के माध्यम से ही खरीदना पड़ता है। यह भी एक बड़ी समस्या बनी हुई है। अभिभावकों का कहना है कि एनसीईआरटी को सभी तरह की किताबों का प्रकाशन करना चाहिए जिससे कम से कम खर्चे में उनके बच्चे विद्यालयों में पढ़ सकें।

एनसीईआरटी की किताबों को लागू करने में कर रहे हैं मनमानी। निजी प्रकाशकों से मोटी कमाई के चलते जिले के अंग्रेजी मीडियम के कई विद्यालय एनसीईआरटी की किताबें चलते ही नहीं हैं। उसकी जगह निजी प्रकाशको की किताबें चलाते हैं। इसके पीछे वजह होती है कि निजी प्रकाशक विद्यालयों की सुविधा का ख्याल रखते हैं। जबकि अभिभावक की जेब।खाली होती है। नगर में ही एक दो विद्यालय ऐसे हैं जहां पर एनसीईआरटी किताबें नहीं चलाई जाती हैं। जबकि अगर एनसीईआरटी किताब चलाई जाती तो अभिभावकों को किताबों को खरीदने में काफी राहत मिलती। माध्यमिक शिक्षक संघ चेतनारायण गुट के जिलाध्यक्ष अरुण सिंह ने कहा है की अंग्रेजी मीडियम के विद्यालय पूरी तरीके से बेलगाम हैं। इनके ऊपर सरकार और प्रशासन का कोई अंकुश नहीं रह गया है। अंधाधुंध फीस ले रहे हैं और किताबों को लागू करने में भी मनमानी की जा रही है।

‘एनसीईआरटी किताबों की उपलब्धता के संबंध में जल्द ही उच्च अधिकारियों से बात की जाएगी। मार्केट में जो भी किताब में उपलब्ध है वह निर्धारित रेट में ही बेची जाए किसी भी दशा में अभिभावकों से अधिक पैसा न लिया जाए।

गिरीश कुमार सिंह, जिला विद्यालय निरीक्षक

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